School & Colleges

Town School built in 1874 at Kesarganj,Meerut.

Town School built in 1874 at Kesarganj,Meerut. Education acts as a ladder in the life of every person. Education is the ladder that works to guide a person's life as well as to give him a good identity in the society. Even in our Indian constitution, the right to education has already been given the form of a fundamental right. Be it poor or rich, every class's child being educated is the work to improve our society. There are lakhs of government schools in our country in which crores of children are studying. Be it primary education or higher level education, the government keeps trying for the bright future of the children in every way. Not only the government but there are many people in the society who themselves are providing education to the children. There are also many such NGOs in the country which are performing very well the work of providing primary and higher level education to the promising and talented children of the poor class. You must have heard many such news in which people are giving free education to children. Like a person going to poor settlements and giving primary education to children. Someone is giving the things needed for education (copy-books, pencils, erasers etc.) to the poor children. So someone is feeding them full stomach along with education. In such a situation, have you heard or seen that a person has spent all his property for the education of poor children. Yes, there is one such government school in Meerut, the oldest district of Uttar Pradesh. This school was built by Shri Nandram contractor ji in the year 1874. He did not have any child. He created a charitable trust – Raja Ram Nandram Charitable Trust with all his wealth, and became a support for poor children. Today this school comes under the state government. मेरठ में सन 1874 में निर्मित टॉउन विध्यालय,केसरगंज,मेरठ. शिक्षा, हर व्यक्ति के जीवन में एक सीढ़ी का काम करती है। शिक्षा, वह सीढ़ी है जो कि व्यक्ति के जीवन को मार्गदर्शन करने के साथ-साथ उसे समाज में भी अच्छी पहचान दिलाने का काम करती है। हमारे भारतीय संविधान में भी शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार का रूप पहले से ही दिया जा चुका है। चाहे गरीब हो या अमीर, हर वर्ग के बच्चे का शिक्षित होना हमारे समाज को बेहतर बनाने का काम करना है। हमारे देश में कई लाख सरकारी स्कूल हैं जिसमें करोड़ों बच्चे पढ़ रहे हैं। प्राथमिक शिक्षा हो या उच्च स्तरीय शिक्षा, सरकार हर तरह से बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास करती ही रहती है। सरकार ही नहीं बल्कि समाज के कई ऐसे लोग हैं जो खुद बच्चों के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। देश में कई ऐसी एनजीओ भी हैं जो गरीब वर्ग के होनहार व प्रतिभावान बच्चों के लिए प्राथमिक एवं उच्च स्तरीय शिक्षा दिलाने का काम बहुत ही अच्छे ढंग से निभा रही है। आपने कई ऐसे खबरें सुनी ही होंगी जिनमें लोगों द्वारा बच्चों को मूफ्त शिक्षा दी जा रही है। जैसे कोई व्यक्ति गरीब बस्तियों में जाकर बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दे रहा है। कोई गरीब बच्चों को शिक्षा से जरूरी समान (कॉपी-किताब,पेंसिल,रबर आदि) दे रहा है। तो कोई शिक्षा के साथ-साथ उन्हें भर पेट खाना खिला रहा है। ऐसे में क्या आपने यह सुना या देखा है कि किसी व्यक्ति ने अपनी सारी संपत्ति ही गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए लगा दी हो। जी हां, उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने जिला मेरठ के केसरगंज में एक ऐसा ही सरकारी स्कूल है। साल 1874 में यह स्कूल श्री नंदराम कांट्रेक्टर ने बनवाया था। उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति द्वारा एक चैरिटेबल ट्रस्ट – राजा राम नंदराम चैरिटेबल ट्रस्ट बनाई, और गरीब बच्चों के लिए सहारा बने। आज यह स्कूल राज्य सरकार के अंतर्गत आता है। Kesharganj

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