BARNAVA, VARNAVRAT, LAKSHAGRAH, PANDAVAS, MAHABHARAT
पांडवों को मिले पांचों गांवों में से एक था वारणावर्त (बरनावा) बरनावा हिंडनी (हिण्डन) और कृष्णा नदी के संगम पर बागपत जिले में मेरठ से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी स्थित है। यह प्राचीन गांव 'वारणावत' या 'वारणावर्त' है, जो उन 5 ग्रामों में से एक था जिनकी मांग पांडवों ने दुर्योधन से महाभारत युद्ध से पूर्व की थी। ये 5 गांव वर्तमान नाम अनुसार निम्न थे- पानीपत, सोनीपत, बागपत, तिलपत और वरुपत (बरनावा)। यहाँ एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था. इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके. यह वार्णावत (वर्तमान बरनावा) नामक स्थान में बनाया गया था. बरनावा में लाक्षागृह होने के सबूत दो सुरंगों से मिलते हैं। यहां के खंडहर इलाके में ये दोनों सुरंग आमने-सामने बनी हैं। किसी ने इन सुरंगों को पूरा पार तो नहीं किया, लेकिन स्थानीय लोग कहते हैं ये सुरंग लाक्षागृह से निकलकर हिंडन नदी तक पहुंचती हैं। महाभारत के समय लाक्षागृह में साजिश के तहत कौरवों ने आग लगाई थी। पांडवों को जिंदा जलाने के मकसद से लाक्षागृह में आग लगाई गई थी। लाक्षागृह में आग लगने से पहले ही पांडव सुरंग से बचकर निकल गए थे । दोनों सुरंग जमीनी सतह से करीब 200 मीटर नीचे बनीं है। कहा जा रहा है कि इन सुरंगों के ऊपरी हिस्से में ही कहीं हो सकता है लाक्षागृह। मिट्टी के टीले से करीब 200 मीटर नीचे आने पर ये सुरंग दिखाई देती हैं। इस सुरंग से 100 फीट ऊपर बना किले का अब एक ही हिस्सा दिखाई देता है। जानकारों के मुताबिक, गुंबदनुमा ये इमारत भी लाक्षागृह का ही हिस्सा है। इसी गुम्बद के नीचे मौजूद हो सकता है पांच हज़ार साल पुराना पांडवों का लाक्षागृह।
Google Location
What's Your Reaction?






