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DOODHESWAR NATH MAHADEV TEMPLE,GHAZIABAD दूधेश्वरनाथ मन्दिर, गाजियाबाद.

DOODHESWAR NATH MAHADEV TEMPLE,GHAZIABAD दूधेश्वरनाथ मन्दिर, गाजियाबाद. गाजियाबाद के सबसे प्राचीतम मंदिर दूधेश्वरनाथ का इतिहास लंकापति रावण के काल से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां पर लंकापति के पिता विश्रवा ने कठोर तप किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान दूधेश्वरनाथ के लगातार दर्शन करने से यहां आनेवाले भक्तों की सारी मुरादे पूरी होती है। पुराणों में भी दूधेश्वर मठ का वर्णन है । पुराणों में हरनंदी (हिरण्यदा) नदी के किनारे हिरण्यगर्भ ज्योतिलिंग का वर्णन मिलता है, जहां पुलस्त्य के पुत्र एवं रावण के पिता विश्वश्रवा ने घोर तपस्या की थी। रावण ने भी यहां पूजा-अर्चना की थी। कालांतर में हरनंदी नदी का नाम हिंडन हो गया और हिरण्यगर्भ ज्योतिलिंग ही दूधेश्वर महादेव मठ मंदिर में जमीन से साढ़े तीन फीट नीचे स्थापित स्वयंभू दिव्य शिवलिंग है। छत्रपति शिवाजी के द्वारा बनवाने की भी है मान्यता दूधेश्वरनाथ मंदिर का मुख्य द्वार एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है। दरवाजे के बीच में भगवान गणेश विद्यमान है जिन्हें इसी पत्थर को तराश कर बनाया गया है। कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर को छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था। पहले यहां सुरंग थी जो कि सीधे रावण के गांव बिसरख और हिंडन पर निकलती थी। समय के साथ साथ वह खत्म होती चली गई। 550 वर्षों से मंदिर में महंत परम्परा बनी हुई है। इन सभी की समाधियां मंदिर प्रांगण में हैं। वर्तमान में सोलहवें श्रीमहंत नारायण गिरी श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश हैं। इस मंदिर में एक धूना जलता है, जिसके बारेमेंमान्यता हैकि यह कलयुग में महादेव के प्रकट होने के समय से ही जलती है।

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