Architectural ruins

दास्तान बुढ़ाना की, मुज़फ़्फ़रनगर.

दास्तान बुढ़ाना की, मुज़फ़्फ़रनगर. मेरठ के पास एक कस्बा है बुढ़ाना। बुढ़ाना कोई आम कस्बा नहीं है। बहुत सी बातें ऐसी हैं जो इसे किसी सामान्य कस्बे से अलग बनाती हैं। जैसे कि यह अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का होमटाउन है। यहीं राम लीला के मंचन से शुरआत कर आज नवाजुद्दीन सिद्दीकी विश्व स्तर पर चमक रहे हैं। इसके अलावा जो खास बात बुढ़ाना की है वो है यहां का सदियों पुराना इतिहास। बुढ़ाना यूं तो कई बार बसा उजड़ा। लेकिन आखरी बार श्री बुड्ढा त्यागी जी ने इसे बसाया जिनके नाम पर इसका वर्तमान में नाम बुढ़ाना पड़ा। ऐतिहासिक दस्तावेजों की बात करें तो शहंशाह अकबर के ‘आइन ए अकबरी’ में बुढ़ाना का जिक्र एक परगना के तौर पर किया गया है, जोकि सहारनपुर सरकार के अंतर्गत आता था। परगना और सरकार मुगल दौर में क्षेत्र के विभाजन की इकाइयां हुआ करती थीं। शहंशाह शाह आलम द्वितीय के दौर में बुढ़ाना निवासी हरकरन सिंह त्यागी जी उनके वज़ीर ए आज़म हुआ करते थे। इसके बाद बुढ़ाना में दौर आया बेगम समरू का। बेगम समरू इतिहास में मौजूद सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक रहीं। उनकी रियासत सरधना थी, जिसके अंतर्गत बुढ़ाना भी आता था। मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय ने सरधना की जागीर बेगम समरु के पति को दी थी। बुढ़ाना के निवासी राव दीवान सिंह जी का संबंध बेगम समरू की रियासत से था। वह बेगम समरू के वज़ीर ए आज़म हुआ करते थे, यानी कि उनके प्रधानमंत्री और इकलौते ऐसे शक्स जिनकी बात कभी भी बेगम नही टालती थी,सरधना चर्च में मौजूद बेगम समरू की प्रतिमा के पास ही हाथ में किताब लिए मौजूद जो प्रतिमा है वो राव दीवान सिंह जी की ही है। बुढ़ाना में एक किला भी हुआ करता था। हालांकि आज केवल उसका कुछ अंश ही बाकी रह गया है। लेकिन माना जाता है कि यह किला बेगम समरू से पहले से यहां स्तिथ है। बेगम समरू के किले के नाम से यह प्रसिद्ध हुआ था। यही किला बाद में तहसील और थाने की भी इमारत रही। आज किले के एक हिस्से में कन्या इंटरकॉलेज चल रहा है। दूसरी ओर कुछ पुराने कमरे हैं जिससे हमें पुराने समय के प्रमाण मिलते हैं। फिलहाल यह वीरान है। हालांकि माना जाता है यह कारागृह थे। इसके अलावा भी बुढ़ाना में बहुत से पुराने घर और इमारतें मौजूद हैं। समय के साथ संरचना भले ही नई हो गई हो लेकिन बुनियादी तौर पर उसकी पुरानी शेली साफ नजर आती है। बुढ़ाना बहुत से पुराने मस्जिद मंदिर मिल जाएंगे जो यहां की साझी विरासत का प्रमाण है। श्री छतरी के नाम से एक मंदिर भी मौजूद है जहां राव दीवान सिंह जी के पद्म चिन्हों की आकृति मौजूद है। त्यागी परिवार ने अपने इतिहास को बखूबी सजों के रखा हुआ। अपने पुरखों की इमारतों से लेकर अपनी वंशावली तक यहां महफूज है। कुल मिलाकर बुढ़ाना गांव अपने आप में ही एक नायाब इतिहास की किताब मालूम होता है।

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