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VISHNU PRABHAKAR JI हिंदी लेखक व साहित्यकार विष्णु प्रभाकर जी.

हिंदी लेखक व साहित्यकार विष्णु प्रभाकर जी. हिंदी लेखक व साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून 1912 को मुजफ्फरनगर , उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव मीरनपुर में हुआ। आपने कहानी, उपन्यास, नाटक व निबंध विधाओं में सृजन किया। छोटी आयु में ही वे मुज़फ़्फ़रनगर से हिसार (हरियाणा) आ गए थे जो पहले पंजाब में था। गाँधी जी के जीवनादर्शो से प्रेम के कारण उनका रुझान कांग्रेस की तरफ हुआ तथा आजादी के दौर में बजते राजनीतिक बिगुल में उनकी लेखनी का भी अपना एक उद्देश्य बन गया था जो आजादी के लिए संघर्षरत थी। अपने लेखन के दौर में वे प्रेमचंद, यशपाल, जैनेंद्र, अज्ञेय जैसे महारथियों के सहयात्री रहे, किन्तु रचना के क्षेत्र में उनकी अपनी एक अलग पहचान बनी। 1931 में हिन्दी मिलाप में पहली कहानी दीवाली के दिन छपने के साथ ही उनके लेखन का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आज आठ दशकों तक निरंतर सक्रिय है। नाथूराम शर्मा प्रेम के कहने से वे शरत चन्द्र की जीवनी आवारा मसीहा लिखने के लिए प्रेरित हुए जिसके लिए वे शरत को जानने के लगभग सभी सभी स्रोतों, जगहों तक गए, बांग्ला भी सीखी और जब यह जीवनी छपी तो साहित्य में विष्णु जी की धूम मच गयी। कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, संस्मरण, बाल साहित्य सभी विधाओं में प्रचुर साहित्य लिखने के बावजूद आवारा मसीहा उनकी पहचान का पर्याय बन गयी। बाद में अ‌र्द्धनारीश्वर पर उन्हें बेशक साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला हो, किन्तु आवारा मसीहा ने साहित्य में उनका मुकाम अलग ही रखा। विष्णु प्रभाकर जी ने अपनी लेखनी से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओें में अपनी लेखनी चलाई। विष्णु जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया। उनके उपन्यास ‘अर्धनारीश्वर’ के लिए इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ का मूर्तिदेवी सम्मान तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार इत्यादि प्रदान किए गए। 11 एप्रिल 2009 ko 97 वर्ष की आयू में विष्णु जी इस संसार को छोड़ कर चले गए । “स्टूडीओ धर्मा” ऐसी पुण्य आत्मा को शत् शत् नमन करता है ।

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