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सुल्तान शम्सुद्दीन इल्तुतमिश की रेहल,इसी रेहल पर रख कर वह कुरान का पाठ करता था। आज यह हैदराबाद के सालार जंग संग्रहालय में मौजूद है। ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि शम्सुद्दीन इल्तुतमिश एक धर्मनिष्ठ मुसलमान था जो रात में अपना ज़्यादातर समय प्रार्थना में बिताता था। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें महरौली में कुतुब मीनार के पास दफनाया गया। वहां उनकी एक खूबसूरत कब्र है जिस पर कुरान की आयतें सजी हुई हैं। उनके दरबारी शायर अमीर रूहानी ने उन्हें एक पवित्र योद्धा और गाजी बताया है।
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