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DHAN SINGH GURJAR,STARTED 1ST REVOLUTION OF INDEPENDENCE धन सिंह गुर्जर ने शुरू किया था देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम, अंग्रेजी हुकूमत के छूट गए थे पसीने.

धन सिंह गुर्जर ने शुरू किया था देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम, अंग्रेजी हुकूमत के छूट गए थे पसीने. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मेरठ से प्रारम्भ हुआ ये सब जानते हैं किन्तु किसने प्रारम्भ किया ये कुछ ही लोग जानते हैं अधिकांश लोगो की जानकारी में हैं की मंगल पांडेय जी ने मेरठ से शुरुआत करी किन्तु ऐसा नहीं हैं । मंगल पांडे जी के नाम पर मेरठ में कई स्थल हैं। स्थानीय लोगों से लेकर सरकारी अधिकारियों तक, यह भ्रांति गहरी है कि पांडे 'मेरठिया' थे। यह इस तथ्य के बावजूद है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि पांडे, जो यहां से 800 किलोमीटर दूर बलिया में पैदा हुए थे और बैरकपुर,बंगाल में मरे थे, यहां तक ​​कि वो कभी एक बार भी मेरठ तक भी कभी नहीं आऐ यह विडम्बना ही हैं की कुछ ही इस महान स्वतंत्रता सेनानी कोतवाल धन सिंह गुर्जर जी की वीर गाथा से परिचित हैं । हमारे देश पर जब अंग्रेजों का शासन था तो उस दौरान कई ऐसे नायक हुए जिन्होंने देश को आजाद करवाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। इन नायकों में से एक नायक ऐसे भी थे जिनके बारे में आज शायद कोई भी नहीं जानता होगा लेकिन इस शख्स की बदौलत भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई थी। ये शख्स और कोई नहीं बल्कि मेरठ के गांव पांचली खुर्द निवासी कोतवाल धन सिंह गुर्जर थे जिनका जन्म 27 नवंबर 1814 को हुआ था वह देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे ।”स्टूडीओ धर्मा” शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर जी को शत शत नमन करता हैं । इस क्रान्ति की शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ में हुई थी। इसीलिए 10 मई को हर साल ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाया जाता हैं। इस क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने की हिम्मत दिखाई थी और उनकी पूरी हुकूमत को नाकों चने चबवा दिए थे। 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। जैसे ही शहर में ये खबर फैली कि सैनिकों ने विद्रोह कर दिया है आस-पास के गांव के लोग हजारों की तादाद में मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह कोतवाल (प्रभारी) के पद पर कार्यरत थे। धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में भीड़ ने ‘मारो फिरंगी’ का नारा लगाकर सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में अंग्रेजों का कत्लेआम किया। धन सिंह कोतवाल एक क्रान्तिकारी की तरह निकलकर सबके सामने आ गए थे। धन सिंह ने इस भीड़ को एक नेता के तौर पर एक नई दिशा दी जो की अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ थी। धन सिंह के इस कदम की वजह से अंग्रेज उनसे डर गए थे। धन सिंह ने भीड़ के साथ रात 2 बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी। जेल से छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले पुलिस फोर्स के नेतृत्व में क्रान्तिकारी भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। क्रान्ति के दमन के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने 10 मई, 1857 को मेरठ मे हुई क्रान्तिकारी घटनाओं में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए मेजर विलियम्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई। विलियम्स ने उस दिन की घटनाओं का भिन्न-भिन्न गवाहियों के आधार पर गहन विवेचन किया तथा इस सम्बन्ध में एक स्मरण-पत्र तैयार किया, जिसके अनुसार उन्होंने मेरठ में जनता की क्रान्तिकारी गतिविधियों के विस्फोट के लिए धन सिंह कोतवाल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया और 4 जुलाई को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। 4 जुलाई 1857 को बदला लेने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने उनके गांव पर तोपों से हमला बोल दिया। उनके गांव पांचली को तोपों से उड़ा दिया गया। इसमें करीब 400 लोग मारे गए और जो बच गए उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़ने वाले जांबाज अमर शहीद धन सिंह कोतवाल का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। इस क्रांति के बाद ब्रिटिश हुकूमत घुटनों के बल आ गई। अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी ।

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