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SITA SATI STHAL,LOVE KUSH BIRTH PLACE ,BALENI,BAGHPAT सीता सती स्थल,लव-कुश जन्म भूमि ,वाल्मीकि मंदिर बालैनी,बागपत में करें द्वापर युग के दर्शन.

सीता सती स्थल,लव-कुश जन्म भूमि ,वाल्मीकि मंदिर बालैनी,बागपत में करें द्वापर युग के दर्शन. हिडन और यमुना के दोआब में बसा बागपत आस्था व संस्कृति और इतिहास का अनूठा संगम है। महाभारत का साक्षी रही बागपत की इस धरा पर ही द्वापर युग को यादों को समेटे महर्षि वाल्मीकि मंदिर बालैनी में है। मान्यता है कि इस मंदिर में लव-कुश की जन्मस्थली है तो सीता मैया भी यहां समाई थीं। भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े की लगाम भी यहीं थामी गई थी। आइए आप भी इस तीर्थ स्थल पर और करिए द्वापर युग के दर्शन..। मेरठ-बागपत मार्ग पर बालैनी गांव में हिडन किनारे महर्षि वाल्मिक की तपस्थली रही है। मान्यता है कि महर्षि वाल्मीकि के आश्रम बालैनी में लव-कुश का जन्म हुआ था। महर्षि वाल्मीकि जी ने लव-कुश को यहीं शस्त्र एवं शास्त्र विद्या में पारंगत किया था। यह भी लोक मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने सीतापुर के नेमी सारण्ड स्थान से अश्वमेध यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा। यह घोड़ा देशभर में चक्कर लगाने के बाद मयराष्ट्र राज्य यानी आज के बागपत में बालैनी स्थित उक्त आश्रम पहुंचा था, जहां लव-कुश ने घोड़ा पकड़ लिया था। घोड़े के साथ चल रही श्री राम की सेना से लव-कुश का युद्ध हुआ। शिव उपासक थीं सीता मैया महर्षि वाल्मीकि ने सीता जी की शिव भक्ति देखकर इस आश्रम यानी मंदिर में पंचमुखी नागेश्वर महादेव जी की स्थापना की थी। मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग सिद्धपीठ है। इस वाल्मीकि मंदिर में लव-कुश जी का जन्म स्थली, सीता मैया की समाधि स्थल, पंचमुखी महादेव मंदिर, राधा-कृष्ण जी का मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, शनि मंदिर है। विशाल यज्ञशाला है। मंदिर में विराजमान कई प्रतिमाएं हजारों साल पुरानी हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर यह मंदिर बना है वह महर्षि बाल्मीकि के आश्रमों में से एक है। - मंदिर के महंत का दावा है कि दो वर्ष का सीता वनवास महर्षि बाल्मीकि के इसी आश्रम में पूरा हुआ था। - इसी आश्रम में माता सीता ने लव-कुश को जन्म दिया। - पूर्व में इस आश्रम को ब्रहमतुंग नाम से जाना जाता था। हर साल आखातीज के दिन यहां लव-कुश का जन्म दिन मनाया जाता है। - इस दिन मंदिर में शुल्क पक्ष दोज व तीज को मेला लगता है। सावन मास में कांवड़िये शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। - यह सिद्ध पीठ आश्रम वर्तमान में प्रेरणा का स्त्रोत बना है। - ग्रामीणों का मानना है कि इसी नागेश्वर महादेव मंदिर में सीता माता वनवास के दौरान आश्रम में रहकर पूजा करती थी। Luv Kush Temple



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