Architectural ruins

MUQARRAB KHAN,KAIRANA,SHAMLI मुकर्रब खान, कैराना,शामली .

मुकर्रब खान, कैराना,शामली . कैराना नगर कभी मुगल सम्राट जहांगीर की पसंदीदा जगहों में शुमार था। कैराना का नवाब तालाब और उसके किनारे लगे बाग जहांगीर को बेहद लुभाते थे। अपनी आत्मकथा तुजुक ए जहांगीरी में सम्राट जहांगीर ने इसका उल्लेख भी किया है। कैराना की वैद्यगी किसी जमाने में मिसाल रही हैं । मुकर्रब खान ,शेख हसन हसु के रूप में जन्मे, वे शेखज़ादों के परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो कि भारतीय मुसलमान थे ।वह अबुल हसन के नाम से लोकप्रिय थे।उनके पिता भीना (या बाजा, जैसा कि तुजुक में) उच्च ख्याति के सर्जन थे। शेख हसन हस्सू कम उम्र में मुगल दरबार के संपर्क में आए, जब उन्होंने अपने पिता के साथ चोटिल अकबर को सही करने में सहायता प्रदान की,अकबर जो 1595-96 में एक चोट से पीड़ित थे। मुग़ल सम्राट जहाँगीर का दावा है कि वह उसका बचपन का दोस्त था, और उसके शासनकाल के पहले साल में उसे मुकर्रब खान की उपाधि दी गई। 1617 तक वे 5000/5000 के प्रतिष्ठित पद पर आसीन हुए और गुजरात के सूबेदार के रूप में नियुक्त हुए। 1618 में वह बिहार के गवर्नर थे, जहां वे 1622 तक रहे जब उन्हें एक वर्ष के लिए आगरा प्रांत का शासन दिया गया। उन्हें 1623 में कुछ समय बाद साम्राज्य के द्वितीय बख्शी के रूप में नियुक्त किया गया था। अंततः 1628 में मुकर्रब खान को शाहजहाँ द्वारा सक्रिय सेवा से हटा दिया गया। उन्होंने कैराना में ही अपने सेवानिवृत्त जीवन को गुजारते रहे । सक्रिय सेवा में रहते हुए, मुकर्रब खान ने अपने गृह नगर में कई संरचनाओं के निर्माण का आदेश दिया। निर्माणों में न केवल 'नई इमारतें' बल्कि 'पुरानी इमारतों' और 'बैठने के लिए अन्य स्थानों का नवीनीकरण भी शामिल था, जो जरूरी थे, जैसे कि झरोखा, और एक सार्वजनिक दर्शक हॉल। मुकर्रब खान ने कैराना के परगना में 'उद्यान' की स्थापना की।बताते हैं कि उस बाग में 9 लाख वृक्ष हुआ करते थे । 1619 में, जब मुकर्रब खान को बिहार के सूबेदार के रूप में तैनात किया गया था, तो जहाँगीर ने कैराना में मुक़राब ख़ान के बाग का दौरा किया। वह इतना प्रभावित हुआ लगता है कि उसने 1620 में बगीचे की दूसरी यात्रा की। इस बारे में जहांगीर की आत्मकथा 'तुजुक -ए-जहांगीरी ' में स्वयं सम्राट जहांगीर ने लिखा है कि 'शेख बहा का पुत्र शेख हसन जो बचपन से मेरी सेवा करता रहा, उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मैने उसे 'मुकर्रब खां' की उपाधि दी'। नवाब तालाब के बारे में पुस्तक में लिखा है कि इसमें स्वच्छ जल यमुना नदी से एक ओर से आता तथा दूसरी ओर से जाता था। इस बाग के चारों ओर बाग था, जिसकी सैर के पश्चात मन खुश हो जाता था। जहांगीर ने अपने रोजनामचे 'तुजुक -ए-जहांगीरी' में लिखा है कि 'मेवादार वृक्ष जो कि विलायत में होते हैं, यहां तक कि पिस्ता के पौधे भी तालाब के बाग में मौजूद थे'। जहांगीर अपनी कैराना यात्रा बारे में विस्तार से लिखते हैं कि 21 तारीख को कैराना आने की सआदतमंदी का इत्तफाक़ हुआ। परगना मुकर्रब खां का है। इसकी आब और हवा मौत दिल और कैराना की ज़मीन अहलियत रखने वाली है। मुकर्रब खां ने वहां बागात और इमारात बनाये हैं। जब दो बार तारीफ बाग की गयी तो दिल को इस बाग की सैर करने की रगबत पैदा हुई। हफ्ते के रोज जब तारीख 22 हो गई, मैं घर वालों के साथ इस बाग की सैर से खुश हो गया हूँ। यह बाग तकल्लुफात से खाली और बुलंद मरतबा व दिलनशीं है। पक्की दीवार इसकी घेर में खींच दी गई और कियारियों को निकाला गया है। एक सौ चालीस बिगह ज़मीन है और बीच बाग एक हौल है। इसकी लम्बाई दो सौ बीस ग•ा है। दरमियान हौल के 'सुफ्फा-ए-माहताबी' चांदनी रात में घूमने फिरने के लिए चबूतरा है, जोकि बाईस गज मुरब्बा है। बाग में ऐसे फल लगे पेड़ भी हैं जो कि गर्मी में या सर्दी में मिलते हैं, बाग में मौजूद मेवादार दरखत जो कि ईरान और इराक में होते हैं। इसके अलावा भी काफी कुछ कैराना के बारे में जहांगीर ने लिखा है। किन्तु आज परिस्थिति बिलकुल विपरीत हैं,नवाब तालाब में आज केवल भैंसे नहाती दिखाई देती हैं ,आस पास की सारी गंदगी इक्कठि रहती हैं और नालियों का पानी एकत्रित होता हैं,अधिकांश बाग आज भूमाफियाओ की कब्जे में है बाग का नामो-निशान नहीं बचा हैं और हवेली जिसका कुछ हिस्सा देखने को मिलता वह भी खंडर हो चला हैं ।



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