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गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन,मध्य प्रदेश.

गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन,मध्य प्रदेश. गढ़कालिका मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। कालजयी कवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे। कालिदास के संबंध में मान्यता है कि जब से वे इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा। कालिदास रचित 'श्यामला दंडक' महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है। ऐसा कहा जाता है कि महाकवि के मुख से सबसे पहले यही स्तोत्र प्रकट हुआ था। यहाँ प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व माँ कालिका की आराधना की जाती है। गढ़कालिका मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है यहां भगवती सतीके ऊर्ध ओष्ठ (ऊपरी होंठ) गिरे थे, यहां की शक्ति अवंती और भैरव लंबकरण है। गढ़कालिका का मंदिर 18 महाशक्तिपीठों में भी आता है 18 शक्तिपीठ स्त्रोत जो जगतगुरु आदि शंकराचार्य के द्वारा लिखा गया है। उसमें कहा गया है उज्जयिनी या महाकाली जो उज्जैन की महाकाली का वर्णन किया गया है उसे स्रोत में वह गढ़ कालिका ही है। कालीघाट स्थित कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। देवियों में कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। गढ़ कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया।

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