Mousoleum

हजरत बाले मियां की दरगाह,मेरठ.

हजरत बाले मियां की दरगाह,मेरठ. नौचंदी मैदान स्थित हजरत बाले मियां की दरगाह का इतिहास 985 वर्ष पुराना है। हजरत बाले मियां सन 1034 में मेरठ तशरीफ लाए, उनकी जिंदगी का मकसद भाईचारा, प्यार मुहब्बत कायम करना था। वो कहते थे कि इस दुनिया और हम सब का एक ही मालिक है, हम सब आपस में भाई हैं। हमें जाति धर्म से ऊपर उठकर खुले आसमान के नीचे जमीन के फर्श पर दुनियां के पालन हार की इबादत करनी चाहिए। हजरत बाले मियां ने सन 1034 में यहां इबादत करने के लिए एक चबूतरा बनाया। लेकिन अप्रैल 1034 में ही उन्हें शहीद कर दिया गया। उनसे मुहब्बत करने वालों ने चबूतरे के पास ही उनका मजार बना दिया। सन 1194 में हिंदुस्तान के बादशाह कुतबुद्दीन ने इस जगह की अहमियत को समझा और चबूतरे पर मस्जिद बनवा दी। समय गुजरता गया सन 1212 में हिंदुस्तान का बादशाह शाह आलम सानी बना और उसने भी यहां की अहमियत को समझा। सन 1034 से आज तक यहां एकता भाईचारा कायम है।

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